13/01/2025


विवाह से पहले झाँसी के अपने कमरे की गौरैयों-गिलहरियों को निहारते हुए सोचा करती थी कि अब ये सब कहाँ मिलेंगे? लेकिन यहाँ आकर आँखो में अपनी सुखद उपस्थिति दर्ज़ कराई इस घर के गौरी, डुग्गु, गुरु..... पाँच तोतों ने। 

हालाँकि मुझे शुरुआत से ही पालतू जीवों / पंछियों के स्थान पर स्वतंत्र पँछी/ जीव प्रिय रहे हैं। संभवत: यही कारण है कि वर्षों से दो बादलों से सफ़ेद व नर्म खरगोश पालने की अपनी इच्छा को दबाती आई हूँ। जीवन में यदि कभी किसी बड़े से मैदान की मालकिन बनने में सफ़ल हुई तो अपने पशुओं व पौधों से भरे घर के सपनों को साकार करना चाहूँगी। जहाँ पँछी-पौधे स्वतंत्र विचरण कर सके व मेरे साथ से यदि उन्हें ऊब हो तो मुझे छोड़कर जा सके। तब तक के लिए ये ख़ाब "ख़ाब" ही सही। पालतू जीवों के प्रेम पर संदेह होता है कि ये सच में मुझसे प्रेम करते भी हैं या कोई विवशता है उनकी। जैसे Stockholm syndrome (SHS) होता है जिसमें अपहरण या उत्पीड़न के शिकार अपने सर्वाइवल के लिए अपने उत्पीड़क से ही लगाव विकसित कर लेते हैं। कई बार इन्हें ही पता नहीं होता कि इनका यह लगाव दरअसल लगाव न होकर एक तरह का कोपिंग मकैनिजम है। जैसे हीरो फ़िल्म में मीनाक्षी शेषाद्री के किरदार राधा को जैकी दादा के किरदार जयकिशन से प्रेम हो जाता है। जिन्होंने हीरो न देखी हो वो हाईवे फ़िल्म के आलिया भट्ट व रणदीप हुडा के किरदारों से समझ सकते हैं। स्वतंत्र जीवों/ पंछियो की आमद से सुकून मिलता है। उनका आना इस बात की तसदीक है कि हमें कोई बेवजह भी चाह सकता है। अपने व्यस्त और खुशनुमा माहौल से हमारे लिए कुछ समय निकाल सकता है। जो आसमान में ऊँचा उड़ सकते हैं, उनका हमारे लिए ज़मीन पर आना गर्व करने की बात तो है! मन करता था अपनी गिलहरियों से पूछूँ कि बाग के पत्ते-पत्ते तक पहुँच रखने वाली मेरी सूखी आँखों में भला क्या ढूँढती हो? या फ़िर चिड़िया रानी तुम सबके लिए मेरे मन में अथाह किंतु छुपे हुए प्रेम व उदासीनता दोनों में से तुम्हें क्या ज्यादा आकर्षित करता है? और अब जब ये कपि समूह सुबह-दोपहर बंद खिड़की पर बैठ आवाज़ लगाता है तो लगता है कि कोई अपना है जिसे मेरी प्रतीक्षा होती है और आशा भी कि खिड़की के उस पार जो लड़की है अगर वो हमारी पुकार या दस्तकें सुन ले तो खिड़की खोल देगी।

कल कपि परिवार के लंच के वक़्त डॉक्टर साहब ने एक कमाल की बात कही। कि हमने इनके जंगल छीने हैं, इन्हीं की भूमि पर रहते हैं तो अब अगर ये हमारी खिड़की पर नहीं आयेंगे तो कहाँ जायेंगे? इनसे इनके बाग छीनने के बाद इनके लिए भोजन का प्रबंध करना तो हमारे प्रायश्चित का एक छोटा सा प्रयास भर है, पूरी तरह से प्रायश्चित भी नहीं। 



- नेहा मिश्रा "प्रियम"
13/01/2025

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