गोवा- भाग एक



आप लोगों ने कश्मीर फाइल्स देखी है? मैंने नहीं देखी... इतिहास पहले पढ़ रखा था सो देखने की हिम्मत नहीं हुई। ज़रा सोचिये जो हमसे देखी न जा सकी, वो सही कैसे गई होगी। अच्छा अब एक प्रश्न का उत्तर और दीजिये... जीवन में कभी गोवा जानें का सोचा है? दिल्ली- एन.सी.आर. में रहने वाला अमूमन प्रत्येक युवा ऐसी योजनाएं बनाता ही है। अच्छा अब सच-सच बताईयेगा कि "गोवा" शब्द पढ़ते ही आपकी आँखों में कौन से बिंब बनें थे? कोई बात नहीं। इसमें आपकी कोई गलती नहीं है। कश्मीर का नाम सुन कर कौन सा भला किसी की आँखों में कश्यप ऋषि, शिव-शारदा, मार्तंड मन्दिर, शैव संप्रदाय, लल्ल दद्द, ललितादित्य मुक्तापीड, राजा अनंत, मंत्री सूय व रानी दिद्दा जिनकी लोकप्रियता के कारण ही संभवत: उत्तर भारत में बड़ी बहन को दीदी कहने का चलन प्रारम्भ हुआ का बिंब दिखता है। ऐसे में यदि गोवा का नाम पढ़ कर तालू पर वहाँ की "फेनी (लोकल शराब" के स्वाद की कल्पना चिपक जाती है और आँखों में वहाँ के बीच और गोरी चमड़ी वाली अर्ध नग्न स्त्रियों की तस्वीर तो कोई क्या ही कह सकता है। खैर कोई कहे न कहे मैं तो कहूँगी.... 

कहूँगी कि जिसे आप महज़ मौज-मस्ती का अड्डा समझते हैं वह असल में विष्णु के दस अवतारों में से एक भगवान परशुराम की तपस्थली है। मान्यता है कि एक यज्ञ के दौरान परशुराम ने अपने बाणों से समुद्र को कुछ स्थानों में पीछे धकेल दिया था, यही भूमि कोंकण भूमि कहलाई। मान्यता के साक्षी वाणावली, वाणस्थली इत्यादि नाम अभी भी प्राप्त होते हैं। उत्तरी गोवा के हरमल नामक स्थान के निकट भूरे पर्वत की पहचान परशुराम की तपोस्थली के रूप में की गई है। ईसा की तीसरी सदी पूर्व के मौर्ययुगीन इतिहास को समेटे इस स्थान का अतीत प्रागैतिहास तक जाता है तो मौर्य, सातवाहन, चालुक्य, दिल्ली सल्तनत, विजयनगर, बहमनी शासन के इतिहास को समेटे, पुर्तगाली दासता से छूटते आधुनिक भारत तक आता है। 

महाभारत में गोपराष्ट्र अर्थात् गोपालकों के राष्ट्र के रूप में वर्णन मिलता है तो टॉलेमी द्वारा गौउबा रूप में। हरिवंशम, स्कंद पुराण इत्यादि में गोपकपुरी तथा गोपकपट्टन की संज्ञा मिलती है तो कुछेक स्थानों पर गोवे, गोवापुरी, गोवाराष्ट्र, गोमंत, गोआँचल तथा गोपकापाटन नाम मिलता है। वहीं अरबी यात्रियों ने (सल्तनत तथा बहमनी काल में) इसके तटीय शहर चंद्रपुर/ चँदौर नाम से उल्लेख किया है। गोवा को अपना आधुनिक नाम तब प्राप्त हुआ जब बीजापुर के आदिल शाह ने गोवा वेल्हा को अपनी दूसरी राजधानी बनाया। जबकि अपनी आधुनिक राजधानी पंजिम मिली 1510 में, जब पुर्तगालियों ने एक स्थानीय व्यक्ति "तिमैया" के सहयोग से युसुफ आदिल शाह को पराजित किया और राजधानी गोवा वेल्हा से पंजिम स्थानांतरित किया। 
अब पुर्तगालियों ने वहाँ क्या कहर ढाया वो अगले भाग में.. 


~ नेहा मिश्रा "प्रियम"
19/10/2024

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