13/01/2025
विवाह से पहले झाँसी के अपने कमरे की गौरैयों-गिलहरियों को निहारते हुए सोचा करती थी कि अब ये सब कहाँ मिलेंगे? लेकिन यहाँ आकर आँखो में अपनी सुखद उपस्थिति दर्ज़ कराई इस घर के गौरी, डुग्गु, गुरु..... पाँच तोतों ने। हालाँकि मुझे शुरुआत से ही पालतू जीवों / पंछियों के स्थान पर स्वतंत्र पँछी/ जीव प्रिय रहे हैं। संभवत: यही कारण है कि वर्षों से दो बादलों से सफ़ेद व नर्म खरगोश पालने की अपनी इच्छा को दबाती आई हूँ। जीवन में यदि कभी किसी बड़े से मैदान की मालकिन बनने में सफ़ल हुई तो अपने पशुओं व पौधों से भरे घर के सपनों को साकार करना चाहूँगी। जहाँ पँछी-पौधे स्वतंत्र विचरण कर सके व मेरे साथ से यदि उन्हें ऊब हो तो मुझे छोड़कर जा सके। तब तक के लिए ये ख़ाब "ख़ाब" ही सही। पालतू जीवों के प्रेम पर संदेह होता है कि ये सच में मुझसे प्रेम करते भी हैं या कोई विवशता है उनकी। जैसे Stockholm syndrome (SHS) होता है जिसमें अपहरण या उत्पीड़न के शिकार अपने सर्वाइवल के लिए अपने उत्पीड़क से ही लगाव विकसित कर लेते हैं। कई बार इन्हें ही पता नहीं होता कि इनका यह लगाव दरअसल लगाव न होकर एक तरह का कोपिंग...